पाइल्स, फिशर और फिस्टुला का आयुर्वेदिक समाधान: वेबिनार में जानें विशेषज्ञों की राय

पाइल्स, फिशर और फिस्टुला वेबिनार

आजकल पाइल्स (बवासीर), फिशर और फिस्टुला जैसी मलद्वार से जुड़ी बीमारियाँ बहुत आम हो गई हैं। इनसे पीड़ित लोगों को तेज दर्द, जलन, खुजली और खून आने जैसी दिक्कतें होती हैं। आमतौर पर इनका इलाज सर्जरी से किया जाता है, लेकिन आयुर्वेद में बिना ऑपरेशन इनका प्राकृतिक इलाज संभव है। आयुर्वेद के अनुसार, इन बीमारियों का इलाज जड़ी-बूटियों, पंचकर्म थेरेपी, औषधीय काढ़े, सही खान-पान और अच्छी जीवनशैली से किया जा सकता है। अगर सही समय पर ध्यान दिया जाए, तो इन समस्याओं से पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है। HIIMS बन्ग्लोरे CAPF और CGHS से पैनल में शामिल है, जिससे सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों को हमारे आयुर्वेदिक उपचारों का लाभ आसानी से मिल सके

पाइल्स, फिशर और फिस्टुला क्या हैं?

पाइल्स (बवासीर) – यह एक ऐसी समस्या है जिसमें मलद्वार (एनस) या मलाशय (रेक्टम) की नसें फूल जाती हैं और सूजन आ जाती है। कई बार इनमें खून भी निकलने लगता है, जिससे दर्द और जलन महसूस होती है। इसकी वजह से बैठने में समस्या होती है 

फिशर – यह मलद्वार के पास होने वाला एक छोटा सा कट (चीर) होता है, जो मल त्याग के समय तेज दर्द और जलन पैदा करता है।

फिस्टुला – यह मलद्वार के पास बनने वाली एक छोटी नली होती है, जिससे बार-बार पस या गंदा पानी निकलता रहता है। यह आमतौर पर संक्रमण के कारण होता है और जल्दी ठीक नहीं होता। अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो यह और ज्यादा तकलीफदेह हो सकता है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से पाइल्स, फिशर और फिस्टुला

आयुर्वेद के अनुसार, यह समस्याएँ शरीर में वात, पित्त और कफ दोष के असंतुलन के कारण होती हैं। खासकर, वात और पित्त दोष का बढ़ना मलद्वार क्षेत्र को उजागर और जलन को बढ़ा देता है, जिससे बवासीर, फिशर और फिस्टुला जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

आयुर्वेदिक उपचार और प्राकृतिक समाधान

आयुर्वेद में इन समस्याओं के लिए कई प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं, जो बिना ऑपरेशन के  राहत प्रदान कर सकते हैं

1. क्षारसूत्र चिकित्सा (Kshar Sutra Therapy)

  • यह एक पारंपरिक आयुर्वेदिक विधि है, जिसमें औषधीय धागे (medicated thread) का उपयोग किया जाता है।
  • यह पाइल्स के मस्सों को धीरे-धीरे सुखाकर गिरा देता है और फिस्टुला को ठीक करता है।
  • संक्रमण को दूर करता है और पुनः बीमारी होने से रोकता है।

2. भस्म और हर्बल औषधियाँ

  • त्रिफला चूर्ण: पाचन को मजबूत करता है और कब्ज दूर करता है।
  • हरितकी (हरड़): आंतों की सफाई करता है और मल त्याग को आसान बनाता है।
  • अरशोघ्न वटी: पाइल्स की सूजन और जलन को कम करता है।
  • नागरमोथा और लोध्र: फिशर और फिस्टुला के घाव को जल्दी भरने में मदद करता है।

3. बस्ती उपचार (Medicated Enema Therapy)

  • यह आयुर्वेदिक पंचकर्म इलाज का हिस्सा है, जिसमें औषधीय तेल या काढ़े को मलद्वार मार्ग से प्रविष्ट किया जाता है।
  • यह मलाशय की सफाई करता है और कब्ज को दूर करता है।
  • यह आंतों को पोषण देकर उन्हें स्वस्थ बनाता है।

4. शोधन चिकित्सा (Detoxification Therapy)

  • शरीर से विषाक्त पदार्थों (toxins) को निकालकर आंतों को स्वस्थ बनता है।  
  • वात और पित्त दोष को संतुलित करता है।  
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।  

आयुर्वेदिक आहार: क्या खाएँ और क्या न खाएँ?

क्या खाएँ?

  • फाइबर युक्त भोजन जैसे हरी सब्जियाँ, फल (सेब, अनार, पपीता), दलिया, चिया बीज, अलसी के बीज
  • पंचकर्म को मजबूत करने के लिए त्रिफला चूर्ण का सेवन करें।
  • पानी ज्यादा पिएँ और नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ का सेवन करें।
  • हल्का और सुपाच्य भोजन जैसे मूंग दाल, खिचड़ी, सूप

क्या न खाएँ?

  • तला-भुना और मसालेदार भोजन जैसे चटनी, अचार, तीखे मसाले, मिर्च
  • जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड और मैदा से बने खाद्य पदार्थ
  • ज्यादा चाय, कॉफी, शराब और कैफीनयुक्त पदार्थ।
  • लाल मांस और भारी दूध उत्पाद जैसे पनीर, मक्खन, घी

पाइल्स और फिशर के लिए योगासन

योग न केवल पाचन में सुधार करता है बल्कि आंतों और मलद्वार क्षेत्र में रक्त संचार को भी बढ़ाता है।

  1. मलासन (Garland Pose) – कब्ज दूर करने में सहायक।
  2. पवनमुक्तासन (Wind-Relieving Pose) – गैस और पेट फूलने की समस्या को दूर करता है।
  3. बालासन (Child Pose) – मल त्याग को आसान बनाता है।
  4. अश्विनी मुद्रा (Horse Gesture) –मलद्वार की मांसपेशियों को मजबूत करता है और पाइल्स को ठीक करता है।
  5. विपरीत करनी (Legs-Up-The-Wall Pose) – आंतों की सफाई में मदद करता है।

पाइल्स और फिशर के लिए फ्री वेबिनार 

अगर आप पाइल्स, फिशर और फिस्टुला की समस्या से जूझ रहे हैं और आयुर्वेदिक समाधान जानना चाहते हैं, तो आचार्य जी के आयुर्वेदिक वेबिनार में जरूर हिस्सा  लें। इस वेबिनार में आपको आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा:

  • आयुर्वेदिक औषधियाँ और पंचकर्म विधियाँ समझाई जाएँगी।
  • सही खान-पान और योग का महत्व बताया जाएगा।
  • विशेषज्ञों से सीधा प्रश्न पूछने का अवसर मिलेगा।
  • पाइल्स, फिशर और फिस्टुला के प्राकृतिक इलाज के बारे में जानकारी मिलेगी।

यहाँ बवासीर/फिशर/फिस्टुला से संबंधित वेबिना:

तारीख

दिन

समय

विषय

वक्ता

08-03-2025

शनिवार

10:00 बजे

बवासीर/फिशर/फिस्टुला

वैद्य नवनीत

14-03-2025

गुरुवार

1:00 बजे

बवासीर/फिशर/फिस्टुला

वैद्य नवनीत

22-03-2025

शनिवार

4:00 बजे

बवासीर/फिशर/फिस्टुला

वैद्य नवनीत

निष्कर्ष

पाइल्स, फिशर और फिस्टुला को प्राकृतिक और आयुर्वेदिक तरीकों से आसानी से ठीक किया जा सकता है। नियमित रूप से आयुर्वेदिक इलाज , सही खान-पान और योग का पालन करके आप इन समस्याओं से पूरी तरह छुटकारा पा सकते हैं। अगर आप पाइल्स, फिशर और फिस्टुला जैसी समस्याओं से परेशान हैं और बिना सर्जरी के आयुर्वेदिक इलाज चाहते हैं, तो हमारे पाइल्स, फिशर और फिस्टुला वेबिनार में विशेषज्ञों की राय जानें। इस वेबिनार में आपको पाइल्स, फिशर्स और फिस्टुला उपचार के लिए आयुर्वेदिक इलाज, सही खान-पान और प्राकृतिक उपायों की जानकारी मिलेगी।

पाइल्स, फिशर और फिस्टुला से जुड़ी सामान्य प्रश्न 

प्र. पाइल्स, फिशर और फिस्टुला का आयुर्वेद में इलाज संभव है?
उत्तर: आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों, पंचकर्म और सही खान-पान से बिना सर्जरी के पाइल्स को रिवर्स किया जा सकता है 

प्र. आयुर्वेदिक उपचार में कौन-कौन सी विधियाँ शामिल हैं?
उत्तर: क्षारसूत्र थेरेपी, बस्ती उपचार, हर्बल औषधियाँ और डिटॉक्स थेरेपी जैसी विधियाँ शामिल हैं।

प्र. पाइल्स और फिस्टुला के इलाज के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा कौन सी है?
उत्तर: त्रिफला चूर्ण, अरशोघ्न वटी, हरड़, नागरमोथा और लोध्र जैसी औषधियाँ लाभकारी होती हैं।

प्र. क्या आयुर्वेदिक उपचार से पाइल्स और फिस्टुला पूरी तरह ठीक हो सकता है?
उत्तर: सही इलाज और जीवनशैली में बदलाव से इन समस्याओं से पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है।

प्र. पाइल्स, फिशर और फिस्टुला में कौन-कौन से खाद्य पदार्थ खाने चाहिए?
उत्तर: फाइबर युक्त भोजन, हरी सब्जियाँ, फल, दही, छाछ, त्रिफला चूर्ण और हल्का सुपाच्य भोजन फायदेमंद होता है।