आजकल कैंसर तेजी से बढ़ता जा रहा है। हर दिन लाखों लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। लेकिन एक बड़ी समस्या यह है कि लोग आयुर्वेद को सिर्फ टेस्ट करने के लिए आते हैं, अपनी जिंदगी में अपनाने के लिए नहीं। आचार्य मनीष जी का कहना है कि “आयुर्वेद को टेस्ट मत करो, इसे अपनी जिंदगी में अपनाओ और बीमारियों से दूर रहो। खुद के डॉक्टर खुद बनो।” लेकिन आजकल लोग एलोपैथी को ज्यादा अपना रहे हैं, जबकि एलोपैथी के पास कैंसर का सही इलाज नहीं है। जो लोग एलोपैथी के ट्रीटमेंट्स लेते हैं और बायोप्सी करवाते हैं, उनकी हालत और बिगड़ जाती है। एलोपैथी के इलाज कई बार मरीज को मौत के मुंह में धकेल देते हैं। इसके विपरीत, आयुर्वेद का इलाज रोग को केवल नियंत्रित ही नहीं करता बल्कि उसकी जड़ तक जाकर उसे खत्म करता है। जो लोग आयुर्वेद को अपनाते हैं, वे रोगमुक्त हो जाते हैं। न केवल लक्षणों को नियंत्रित करता है, बल्कि बीमारी की जड़ तक पहुंचकर शरीर को पूरी तरह से रोगमुक्त करने में मदद करता है।
कैंसर सर्वाइवर की कहानी-उसके भाई की जुबानी:
मुझे आज भी वो दिन याद है जब मेरी बहन की यह मुश्किल यात्रा शुरू हुई। उसकी आँख के पास एक छोटा सा घाव हुआ, जिसे हमने मामूली समझा। हमने डॉक्टरों पर भरोसा किया और उनके कहे अनुसार बायोप्सी करवाई ताकि बीमारी का सही कारण पता चल सके। लेकिन बायोप्सी के साइड इफेक्ट्स इतने खतरनाक साबित होंगे, यह हमने कभी नहीं सोचा था।
बायोप्सी के बाद जो घाव छोटा और साधारण था, वह तेजी से संक्रमित हो गया। हालत इतनी बिगड़ गई कि वहां की त्वचा गलने लगी और हमने कुछ भयानक देखा—घाव में कीड़े पड़ चुके थे। डॉक्टरों के चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी। फिर उन्होंने एक बड़ा झटका दिया:
“हमें आपकी बहन की आँख निकालनी होगी।”
हम स्तब्ध रह गए। बायोप्सी के साइड इफेक्ट्स ने स्थिति इतनी गंभीर बना दी थी कि डॉक्टरों को अब आँख निकालने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। लेकिन मेरा दिल मानने को तैयार नहीं था। मैंने सोचा, क्या वास्तव में कोई और तरीका नहीं है?
एलोपैथिक अस्पताल में डॉक्टरों ने ऑपरेशन की तैयारियां शुरू कर दी थीं, लेकिन मैंने एक कठिन निर्णय लिया अपनी बहन को वहाँ से डिस्चार्ज करवा लिया। मैं जानता था कि यह जोखिम भरा कदम है, लेकिन मुझे यकीन था कि हमें कोई और रास्ता खोजना होगा। तभी मैंने आचार्य मनीष जी की एक वीडियो देखी, जिसमें उन्होंने कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज बताया था। उस वीडियो को देखकर मुझे विश्वास हुआ कि यही रास्ता सही हो सकता है। इसी विश्वास के साथ हमने आयुर्वेद की ओर रुख किया। कुछ ही दिनों में हम HIIMS अस्पताल पहुँच गए, जहाँ के डॉक्टरों ने हमारी पुरानी हेल्थ रिपोर्ट्स को ध्यान से देखा और तुरंत इलाज शुरू कर दिया। हमें उस समय प्रेरणा और सकारात्मकता की सबसे ज्यादा जरूरत थी—जो हमें आचार्य जी से मिली।
HIIMS में हमारी नियमित जांच होती थी। वहां के उपचार में काढ़ा, DIP डाइट, और उपवास को दवा की तरह इस्तेमाल किया जाता था। धीरे-धीरे मेरी बहन की हालत में सुधार होने लगा।
शुरुआत में मेरी बहन हताश थी। वह इलाज से थक चुकी थी, लेकिन मैंने उसे किसी तरह समझाया। पहले कुछ दिन कठिन थे। उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया था। लेकिन फिर एक चमत्कार हुआ—आयुर्वेदिक उपचार ने असर दिखाना शुरू कर दिया। आचार्य मनीष जी द्वारा बताए गए प्राकृतिक इलाज को अपनाया और आज मेरी बहन बिल्कुल ठीक है। उसे फिर से जीने की इच्छा मिली है और मुझे खुशी है कि मैंने सही निर्णय लिया।
एलोपैथिक डॉक्टरों ने उसे कैंसर बताया और यहां तक कह दिया कि उसकी आंख निकालनी पड़ेगी। लेकिन जैसे ही कैंसर के आयुर्वेदिक इलाज की प्रक्रिया शुरू हुई, सुधार दिखने लगा। धीरे-धीरे घाव भर गया और आज वह सामान्य जीवन जी रही है।
यह उदाहरण हमें यह सिखाते हैं कि आयुर्वेदिक उपचार में धैर्य, विश्वास और सही मार्गदर्शन से चमत्कार संभव है। आचार्य मनीष जी द्वारा सुझाए गए इलाज न सिर्फ शरीर को ठीक करते हैं, बल्कि जीवन के प्रति आशा और उत्साह भी लौटाते हैं।
कैंसर सर्वाइवर स्टोरी :
मतलब: जब शरीर बीमार हो, तो उपवास (फास्टिंग) सबसे अच्छी दवा है।
आजकल लोग बायोप्सी के साइड इफेक्ट्स झेल रहे हैं और फिर भी एलोपैथी उपचारों पर निर्भर हैं, जबकि यह केवल लक्षणों को दबाने का काम करती है। कैंसर के उपचार के नाम पर मरीजों को कीमोथेरेपी और अन्य दवाओं से कमजोर कर दिया जाता है, जिससे शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है। वहीं दूसरी ओर, न केवल बीमारी को जड़ से ठीक करता है, बल्कि शरीर को स्वस्थ और संतुलित भी बनाता है। आचार्य जी का कहना है कि आयुर्वेद को केवल टेस्ट करने के लिए नहीं, बल्कि जीवनभर अपनाने के लिए इस्तेमाल करें। यह सिर्फ बीमारी को नियंत्रण में नहीं रखता, बल्कि रोग की जड़ तक जाकर उसे खत्म करता है। जो लोग बायोप्सी के साइड इफेक्ट्स झेल रहे हैं, उन्हें एलोपैथी से हटकर आयुर्वेद की ओर रुख करना चाहिए। यह शरीर, मन और आत्मा का समग्र उपचार प्रदान करता है और प्राकृतिक रूप से स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने में मदद करता है।
अगर आप या आपके किसी अपने को कैंसर हुआ है, तो घबराएं नहीं। एलोपैथी की साइड इफेक्ट्स वाली दवाओं और सर्जरी से बचने के लिए आयुर्वेद अपनाएं और अपने जीवन को स्वस्थ और रोगमुक्त बनाएं। कैंसर सर्वाइवर की कहानी हमें यह सिखाती है कि सही इलाज और विश्वास से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
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